गुजराल सिद्धान्त

गुजराल सिद्धान्त भारत की विदेश नीति का एक मील का पत्थर है। इसका प्रतिपादन वर्ष 1996 में तत्कालिक देवगौड़ा सरकार के विदेश मन्त्री आई. के. गुजराल ने किया था। यह सिद्धान्त इस बात की वकालत करता है कि भारत दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा देश होने के नाते अपने छोटे पड़ोसियों को एकतरफा रियायतें दे।

दूसरे शब्दों में, यह सिद्धान्त गैर-पारस्परिकता के सिद्धान्त के आधार पर अपने छोटे पड़ोसियों के प्रति भारत के नमनशील दृष्टिकोण के आधार पर सूत्रित किया गया है। यह भारत में अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण सम्बन्धों को सबसे अधिक महत्त्व देता है।

यह सिद्धान्त वास्तव में भारत के अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ वैदेशिक सम्बन्धों को स्थापित करने के लिए एक पाँच सूत्री पथ मानचित्र (रोड मैप) है। ये पाँच सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

1) बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका जैसे पड़ोसियों के साथ भारत को पारस्परिकता की अपेक्षा नहीं करके इन्हें नेक नियति से वह सब कुछ प्रदान करना चाहिए, जो कि भारत कर सकता है।

2) किसी भी दक्षिण एशियाई देश को क्षेत्र के किसी अन्य देश में हितों के विरुद्ध अपनी भूमि का उपयोग नहीं करने देना चाहिए।

3) किसी भी देश को दूसरे देशों के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

4) सभी दक्षिण एशियाई देशों को एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए।

5) सभी दक्षिण देशों को अपने विवाद शान्तिपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से हल करना चाहिए।

गुजराल ने स्वयं स्पष्ट किया था, “गुजराल सिद्धान्त के पीछे तर्क यह था कि हमें उत्तर एवं पश्चिम से चूँकि दो मैत्रीपूर्ण पड़ोसियों का सामना करना था। अतः हमें अन्य निकटतम पड़ोसियों के साथ पूर्ण शान्ति की स्थिति सुनिश्चित करनी थी।” इसमें विशेषकर भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध सुधारने पर विशेष बल दिया था, ताकि एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण कर आपसी मतभेदों को आसानी से सुलझाया जा सके।

वर्ष 1996 में इस नीति के अन्तर्गत भारत ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी के पानी के बँटवारे पर एक महत्त्वपूर्ण समझौता किया। इस समझौते के अनुसार पानी की कमी वाले मौसम में बांग्लादेश को अधिक पानी दिया जाएगा। इस प्रकार वर्ष 1996 में भारत और चीन के मध्य समझौता हुआ।

इस समझौते में भारत और चीन के द्विपक्षीय सम्बन्धों में सुधार आया। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा विवाद पर भी बातचीत आगे बढ़ाई। वर्ष 1997 में जब भारत सरकार ने पाकिस्तान पर्यटकों विशेषकर बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधा की व्यवस्था की तो गुजराल सिद्धान्त को ही व्यावहारिक रूप दिया गया। इस घोषणा के अन्तर्गत यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान से आने वाले बच्चों और वृद्धों के लिए वीजा शुल्क समाप्त कर दिया जाएगा और उन्हें पुलिस प्रमाण-पत्र की भी आवश्यकता नहीं होगी।

गुजराल सिद्धान्त में पड़ोसी देशों से सम्बन्ध सुधारने के लिए कुछ एक तरफा रियायतें दी जाएँ तथा पड़ोसी देशों के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित हो। गुजराल सिद्धान्त भारत को एक ऐसे बड़े देश के रूप में प्रस्तुत करता है, जो अपने छोटे पड़ोसी देशों को मैत्री का संकेत देकर उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर हो।

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