शिक्षा का सिद्धांत-प्लेटो

 

शिक्षा का सिद्धांत (Theory of knowledge)

 

प्लेटो की रिपब्लिक केवल सरकार के संबंध में लिखी गई पुस्तक नहीं है, जैसा कि रूसो कहता है यह शिक्षाशास्त्र का प्रबंध ग्रंथ है। उसके सारे दर्शन का सार जैसा, कि रिपब्लिक में बताया गया है, प्राचीन यूनानी समाज में सुधार लाना था। रिपब्लिक का उद्देश्य न्याय का पता लगाना और तत्पश्चात एक आदर्श राज्य में उसकी स्थापना करना था। उसकी शिक्षा नीति इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए थी। प्लेटो के लिए सामाजिक शिक्षा सामाजिक न्याय का एक साधन थी।

प्लेटो की शिक्षा सिद्धांत उसके राजनीतिक सिद्धांत के लिए भी महत्वपूर्ण है। अपने गुरु सुकरात का अनुसरण करते हुए पेड़ों का सिद्धांत में विश्वास था कि ( virtue is knowledge) ‘सद्गुण ही ज्ञान है’, और लोगों को सद्गुणी बनाने के लिए उसने शिक्षा को भी बहुत शक्तिशाली साधन बनाया। प्लेटो का यह भी विश्वास था कि शिक्षा मनुष्य के चरित्र का निर्माण करती है और इसलिए व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए, उसकी प्राकृतिक क्षमताओं को बाहर निकलने के लिए यह आवश्यक है।

तत्कालीन समय में दो प्रकार की शिक्षा पद्धति प्रचलित थी। जिनका विवरण निम्नलिखित हैं-

एथेंस की शिक्षा पद्धति एथेंस में केवल अमीर लोगों को शिक्षा प्रदान की जाती थी। यहां के विद्यालय सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं होते थे।

स्पार्टा की शिक्षा पद्धति यहां की शिक्षा पद्धति पूर्णतः सरकारी थी। इसमें अमीर गरीब सभी को शिक्षा प्रदान की जाती थी तथा महिलाओं को भी इसमें सम्मिलित किया गया था। यहां सैनिक शिक्षा भी दी जाती थी।

प्लेटो की शिक्षा प्लेटो की शिक्षा पद्धति पर एथेंस और स्पार्टा दोनों राज्यों का प्रभाव था। आरंभिक शिक्षा का पाठ्यक्रम दो भागों में विभाजित किया गया था- शरीर के प्रशिक्षण के लिए व्यायाम संबंधी और मस्तिष्क के प्रशिक्षण के लिए संगीत शिक्षा का प्रबंध था। प्रारंभिक शिक्षा समाज के सभी तीनों वर्गों के लिए थी।

20 वर्ष की आयु के पश्चात एक परीक्षा होती थी ,20 वर्ष की अवस्था के बाद जिन लोगों का उच्च शिक्षा के लिए चयन होना होता था वह लोग थे जिन्हें संरक्षक वर्ग (सैनिक और शासक) में 20 वर्ष से 35 वर्ष की आयु के बीच उच्च पदों पर कार्य करना था। इन दोनों वर्गों को व्यायाम तथा संगीत संबंधी शिक्षा अधिक दी जाती थी। व्यायाम संबंधी अधिक शिक्षा सैनिक वर्ग को दी जाती थी तथा संगीत संबंधी अधिक शिक्षा शासक वर्ग को। उनकी पाठ्य सामग्री के लिए प्लेटो ने केवल वैज्ञानिक अध्ययन गणित, खगोल विज्ञान और तर्कशास्त्र को ही चुना था।

35 वर्ष के बाद विद्यार्थी साहित्य, चिंतन तथा अनुभव हेतू विदेश भ्रमण को जाते थे। इस 50 वर्ष की शिक्षा को प्राप्त करने के बाद विद्यार्थी शासक बनने योग्य हो जाता था।

शिक्षा योजना की विशेषता-
1. उसकी शिक्षा की योजना संरक्षक वर्ग के लिए थी। उसने उत्पादक वर्ग पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया था।
2. उसकी पूरी शिक्षा योजना राज्य द्वारा नियंत्रित थी तथा इसका उद्देश्य मनुष्य का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक विकास था।
3. यह तीन चरणों को मिलाकर बनती थी- प्राथमिक शिक्षा 6 से 20 वर्ष की आयु में, उच्च शिक्षा 20 से 35 वर्ष की आयु में तथा प्रायोगिक शिक्षा 35 से 50 वर्ष की आयु तक।
4. इसका उद्देश्य शासकों को प्रशासनिक राज-कौशल सिखाना, सैनिकों को सैन्य कौशल सिखाना तथा उत्पादकों को भौतिक वस्तुओं के उत्पादन कौशल सिखाना था।

आलोचना प्लेटो की शिक्षा योजना की अति कटु आलोचना की जाती है। प्लेटो की शिक्षा योजना गैर लोकतांत्रिक तरीके से बनाई गई थी क्योंकि इसमें उत्पादक वर्ग को अनदेखा किया गया था। यह अपने स्वरुप में सीमित थी तथा अपने विस्तार में प्रतिबंधात्मक थी क्योंकि इसमें गणित पर साहित्य की अपेक्षा अधिक बल दिया गया था। यह एक व्यक्ति वादी योजना थी क्योंकि इसमें व्यक्ति की चिंतन प्रक्रिया तथा उसकी स्वायत्तता को बाधित किया था। बहुत ही गूढ़ तथा अमूर्त और इतनी अधिक सिद्धांत एक थी कि इसके कारण व्यावसायिक बारीकियों से भी दूर हो गई।

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