प्लेटो का मुख्य ग्रंथ रिपब्लिक (platos republic)
प्लेटो द्वारा राजदर्शन पर रचित सभी मुख्य ग्रंथों में से उसका ग्रंथ रिपब्लिक ( republic)सबसे मुख्य है, जिसे न्याय से संबंधित (concerning justice) के नाम से भी पुकारा जाता है क्योंकि प्लेटो ने इसके माध्यम से एक ऐसी आदर्श राज व्यवस्था का वर्णन किया है जो न्याय पर आधारित हो। इसकी रचना प्लेटो ने 40 वर्ष की अवस्था में की थी। रिपब्लिक प्लेटो के संपूर्ण दार्शनिक विचारों का प्रतिनिधि ग्रंथ है तथा समाज और मनुष्य जीवन के हर पक्ष अर्थात् भौतिक, नैतिक और आध्यात्मिक पक्षों पर वह प्रकाश डालता है।
रिपब्लिक की विषय वस्तु( content matter of republic)
1. आत्मिक भाव – इस दृष्टि से प्लेटो ने इसमें ‘श्रेष्ठ’ या ‘अच्छा’ क्या है, इसकी व्याख्या की है तथा इसे सभी भौतिक तत्वों में विद्यमान बताया है तथा इसी आधार पर उनकी भिन्नता में एकता को दर्शाया है।
2. न्याय की अवधारणा – रिपब्लिक में प्लेटो ने जिस आदर्श राज्य का वर्णन किया है वह न्याय आधारित है, लेकिन प्लेटो के लिए न्याय का मतलब वर्तमान समय की तरह कोई विधि स्वरूपयुक्त न्याय नहीं है वरन् न्याय की उसकी अपनी अवधारणा है।
3. शिक्षा – प्लेटो व्यक्ति को आदर्श राज्य के अनुकूल बनाने में शिक्षा की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है। अतः वह अपने आदर्श राज्य के शासकों के लिए एक विशाल प्रशिक्षण पद्धति की व्यवस्था करता है।
4. साम्यवादी व्यवस्था का प्रतिपादन – प्लेटो अपने आदर्श राज्य के शासकों को पूर्णतया सेवाभावी और निःस्वार्थी बनाने के लिए उनके लिए संपत्ति और परिवार के साम्यवाद की व्यवस्था करता है।
5. आदर्श राज्य का पतन – प्लेटो रिपब्लिक के इस भाग में यह संकेत करता है कि यदि आदर्श राज्य के स्वरूप को सख्ती के साथ बनाए नहीं रखा गया, तो वह अपने आदर्श रूप को खो बैठेगा और उसका पतन होकर वह एक निरंकुश शासनतंत्र में बदल जाएगा।
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