मौलिक कर्तव्य

  Fundamental duties (मौलिक कर्तव्य)   भारत के मूल संविधान में केवल मूल अधिकारों को ही शामिल किया गया था, जबकि मौलिक कर्तव्य प्रारंभ में संविधान में उल्लेखित नहीं था। ऐसी आशा की जाती थी, कि भारत के नागरिक स्वतंत्र भारत में अपने कर्तव्यों की पूर्ति स्वेक्षा से करेंगे, किंतु 42 वें संशोधन अधिनियम 1976 […]

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मौलिक अधिकार

  भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार (fundamental rights of the Indian citizen)   मौलिक अधिकारों का अर्थ – वे अधिकार जो व्यक्ति के जीवन के लिए अनिवार्य होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं, और जिन अधिकारों में राज्य द्वारा भी हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, मौलिक अधिकार कहलाते हैं। किसी

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मैकियावेली की मानव स्वभाव संबंधी विचार

मानव स्वभाव संबंधी विचार (views on human nature) machiavelli मैकियावेली ने मानव स्वभाव को पतित और विकृत बताया है। उसके अनुसार मनुष्य चंचल, धोखेबाज, चंचल, लालची तथा संकट से बचने वाला होता है। वह अपने लाभ एवं स्वार्थों की पूर्ति के लिए दूसरों का साथ पकड़ता है। वह एक खास सीमा तक अपनी संपत्ति, जीवन,

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धर्म और नैतिकता पर मैकियावेली के विचार

धर्म और नैतिकता पर मैकियावेली के विचार मैकियावेली ने राजनीति को धर्म और नैतिकता से अलग किया। आधुनिक युग का आरंभ करने वाले पुनर्जागरण के प्रतिनिधि के रूप में वही सबसे पहला विचारक था, जिसने ऐसा किया। हम लोग धर्म और नैतिकता के संबंध में उसके विचारों को देखते हुए यह समझने का प्रयास करेंगे

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विकासवादी सिद्धांत

विकासवादी सिद्धांत (EVOLUTIONARY THEORY)   परिचय (introduction) – अब तक राज्य की उत्पत्ति के संबंध में जिन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया, उनमें दैवी सिद्धांत, शक्ति सिद्धांत, सामाजिक समझौता सिद्धांत, पैत्रक सिद्धांत और मात्रक सिद्धांत हैं, लेकिन राज्य की उत्पत्ति की व्याख्या के रूप में इनमें से किसी भी सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जा

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सामाजिक समझौते का सिद्धांत: हाब्स,लाॅक,रूसो

   सामाजिक समझौते का सिद्धांत (social contract theory)             CONTENT : परिचय, इस सिद्धांत का विकास, थांमस हाब्स (1588 – 1679), जाॅन लाॅक (1632 – 1704), जीन जेकस रूसो (1712-1767), सामाजिक समझौता सिद्धांत की आलोचना,   परिचय – राज्य की उत्पत्ति के संबंध में सामाजिक समझौता सिद्धांत बहुत अधिक महत्वपूर्ण

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शक्ति सिद्धांत

शक्ति सिद्धांत (POWER THEORY)   परिचय –  शक्ति सिद्धांत के अनुसार राज्य एक ईश्वरीय संस्था नहीं वरन् एक मानवीय संस्था है, जिसकी उत्पत्ति बल प्रयोग के आधार पर हुई है। बल प्रयोग ही राज्य की उत्पत्ति का कारण और वर्तमान समय में राज्य के अस्तित्व का आधार है। राज्य उच्च शक्ति का परिणाम है और

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शिक्षा का सिद्धांत-प्लेटो

  शिक्षा का सिद्धांत (Theory of knowledge)   प्लेटो की रिपब्लिक केवल सरकार के संबंध में लिखी गई पुस्तक नहीं है, जैसा कि रूसो कहता है यह शिक्षाशास्त्र का प्रबंध ग्रंथ है। उसके सारे दर्शन का सार जैसा, कि रिपब्लिक में बताया गया है, प्राचीन यूनानी समाज में सुधार लाना था। रिपब्लिक का उद्देश्य न्याय

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न्याय का सिद्धांत-प्लेटो

  न्याय का सिद्धांत (theory of justice)   ग्रीक राजनीतिक चिंतन के इतिहास में प्लेटो एक उच्च कोटि के आदर्शवादी राजनीतिक विचारक तथा नैतिकता के एक महान पुजारी थे। चूंकि सुकरात की मृत्यु से प्लेटो का ह्रदय लोकतंत्र से भर गया था। अतः अपनी न्याय धारणा के आधार पर प्लेटो एक शासनतंत्र की कल्पना करने

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दैवीय सिद्धांत

दैवीय सिद्धांत ( DEVINE THEORY) राज्य की उत्पत्ति के संबंध में प्रचलित यह सिद्धांत सबसे अधिक प्राचीन है। इस सिद्धांत के अनुसार राज्य मानवीय नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा स्थापित संस्था है। ईश्वर यह कार्य या तो स्वयं ही करता है या इस संबंध में अपने किसी प्रतिनिधि की नियुक्ति करता है। राजा ईश्वर का प्रतिनिधि

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