भारतीय संविधान की विशेषताएं

भारतीय संविधान अपने मूल भावना के संबंध में अद्वितीय है। हालांकि इसके कई तत्व विश्व के विभिन्न संविधानों से उधार लिये गये हैं। भारतीय संविधान के कई ऐसे तत्व हैं, जो उसे अन्य देशों के संविधानों से अलग पहचान प्रदान करते हैं। भारतीय संविधान की विशेषताएं संविधान के वर्तमान रूप में इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं- […]

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संविधान के आधारभूत ढांचे का सिद्धांत और संविधान संशोधन

संविधान के मूल ढांचे की धारणा का आशय यह है कि संविधान की कुछ व्यवस्थाएं अन्य व्यवस्थाओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है, वे संविधान के मूल ढाँचे के समान है और समस्त संवैधानिक व्यवस्था उन पर ही आधारित है और इनमे संशोधन करने की शक्ति संसद के पास भी नहीं होती है। संविधान के

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जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत

समकालीन उदारवादी चिन्तक जॉन रॉल्स ने अपनी कृति ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस’ (1971) में न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस समय अमेरिका में श्वेतों और अश्वेतों के मध्य संघर्ष चल रहा था। जॉन रॉल्स ने इस संघर्ष के समाधान के लिए न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। रॉल्स ने न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत करते समय एक

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रूसो के शासन संबंधित विचार

रूसों ने राज्य और शासन (सरकार) में स्पष्ट अन्तर किया है। सामाजिक समझौते से जो निकाय बनता. है उसे वह राज्य कहकर पुकारता है। इस सम्प्रभु निकाय की इच्छा को क्रियात्मक रूप देने के लिए सरकार का निर्माण किया जाता है। सरकार का निर्माण सामाजिक समझौते द्वारा नहीं अपितु सम्प्रभुता सम्पन्न समुदाय के प्रत्यादेश द्वारा

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उदारवाद का अर्थ | विशेषताएं | आलोचना

  उदारवाद जिसे अंग्रेजी में liberalism कहते है, इस शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के liber शब्द से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है स्वतन्त्र व्यक्ति। इस प्रकार इस सिद्धान्त का सार यह है कि व्यक्ति को स्वतन्त्रता मिले जिससे वह अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके। उदारवाद एक विकासवादी विचारधारा है जिसका जन्म मध्य

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रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत

रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत उसका सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सिद्धांत है। कुछ विचारक इस सिद्धांत को सबसे अधिक खतरनाक मानते हैं जबकि अन्य विचारकों की राय में सामान्य इच्छा का सिद्धांत लोकतन्त्र तथा राजनीति दर्शन की आधारशिला है। रूसो की मुख्य समस्या यह है कि किस प्रकार सामाजिक सत्ता और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में समन्वय

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रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत

हालांकि रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत हॉब्स और लॉक के समझौता सिद्धान्त के समान है लेकिन उसका उद्देश्य उनकी तरह व्यक्तिवाद और प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन करना मात्र नहीं था। इनके विपरीत, रूसो समाज के नैतिक पतन के प्रति अत्यधिक चिन्तित था और चाहता था कि इस अभिशाप से मुक्त होकर मनुष्य का जीवन पुनः

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लोक प्रशासन का विकास

लोक प्रशासन का विकास लोक प्रशासन एक अभिनव सामाजिक विज्ञान है, जिसने अभी अपने 100 वर्ष भी पूरे नहीं किए हैं। एक युवा और विकासशील सामाजिक विज्ञान होने के बावजूद इसका जीवन उतार-चढ़ाव और उथल-पुथल से परिपूर्ण रहा है। लोक प्रशासन का विकास व इतिहास निम्नलिखित पांच चरणों में विभाजित है – 1) प्रथम चरण

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लाॅक के शासन संबंधी विचार

लॉक के राजदर्शन में राज्य एवं सरकार के मध्य स्पष्ट अन्तर किया गया है। उसने राज्य और सरकार को एक नहीं माना है। उसके अनुसार सामाजिक समझौते से राज्य का निर्माण होता है न कि सरकार का। सरकार की स्थापना लॉक के अनुसार सामाजिक समझौते के माध्यम से नागरिक समुदाय अथवा समाज की स्थापना हो

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हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत

हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत उसके सामाजिक समझौते के सिद्धान्त से प्रभावित है। हॉब्स के शब्दों में, “व्यक्ति की रक्षा हेतु बिना तलवार के अनुबन्ध(समझौता) केवल शक्तिहीन कोरे शब्द है।” समझौते से स्थापित सम्प्रभु सर्वोच्च सत्ता सम्पन्न और निरंकुश है। उसका प्रत्येक आदेश कानून और उसका प्रत्येक कार्य न्यायपूर्ण है। उसे जनता के जीवन को

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