पश्चिमी विचारक

अरस्तू के संविधानों का वर्गीकरण

“वे संविधान, जो पूर्ण न्याय की दृष्टि से सामान्य हित का ध्यान रखते हैं, शुद्ध संविधान हैं। वे संविधान, जो केवल शासकों के व्यक्तिगत हित को ध्यान में रखते हैं, विकृत संविधान हैं या शुद्ध संविधान के विकृत रूप हैं।”—अरस्तू अरस्तू द्वारा संविधानों का वर्गीकरण राजनीति विज्ञान की कोई मौलिक देन नहीं है। उसने प्लेटो …

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अरस्तू : राजनीति विज्ञान का जनक

इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि पश्चिमी जगत में राजनीतिक विज्ञान अरस्तू से ही प्रारम्भ हुआ। यद्यपि अरस्तू के पूर्व प्लेटो ने राजनीति पर विचार किया था, किन्तु उसका सम्पूर्ण ज्ञान कल्पना पर आधारित है। वह अपने कल्पनालोक में ही खोया रहता है और वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं रखता। प्लेटो की पद्धति …

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जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत

समकालीन उदारवादी चिन्तक जॉन रॉल्स ने अपनी कृति ‘ए थ्योरी ऑफ जस्टिस’ (1971) में न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस समय अमेरिका में श्वेतों और अश्वेतों के मध्य संघर्ष चल रहा था। जॉन रॉल्स ने इस संघर्ष के समाधान के लिए न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया। रॉल्स ने न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत करते समय एक …

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रूसो के शासन संबंधित विचार

रूसों ने राज्य और शासन (सरकार) में स्पष्ट अन्तर किया है। सामाजिक समझौते से जो निकाय बनता. है उसे वह राज्य कहकर पुकारता है। इस सम्प्रभु निकाय की इच्छा को क्रियात्मक रूप देने के लिए सरकार का निर्माण किया जाता है। सरकार का निर्माण सामाजिक समझौते द्वारा नहीं अपितु सम्प्रभुता सम्पन्न समुदाय के प्रत्यादेश द्वारा …

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रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत

रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धांत उसका सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक सिद्धांत है। कुछ विचारक इस सिद्धांत को सबसे अधिक खतरनाक मानते हैं जबकि अन्य विचारकों की राय में सामान्य इच्छा का सिद्धांत लोकतन्त्र तथा राजनीति दर्शन की आधारशिला है। रूसो की मुख्य समस्या यह है कि किस प्रकार सामाजिक सत्ता और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता में समन्वय …

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रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत

हालांकि रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत हॉब्स और लॉक के समझौता सिद्धान्त के समान है लेकिन उसका उद्देश्य उनकी तरह व्यक्तिवाद और प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन करना मात्र नहीं था। इनके विपरीत, रूसो समाज के नैतिक पतन के प्रति अत्यधिक चिन्तित था और चाहता था कि इस अभिशाप से मुक्त होकर मनुष्य का जीवन पुनः …

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लाॅक के शासन संबंधी विचार

लॉक के राजदर्शन में राज्य एवं सरकार के मध्य स्पष्ट अन्तर किया गया है। उसने राज्य और सरकार को एक नहीं माना है। उसके अनुसार सामाजिक समझौते से राज्य का निर्माण होता है न कि सरकार का। सरकार की स्थापना लॉक के अनुसार सामाजिक समझौते के माध्यम से नागरिक समुदाय अथवा समाज की स्थापना हो …

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हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत

हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत उसके सामाजिक समझौते के सिद्धान्त से प्रभावित है। हॉब्स के शब्दों में, “व्यक्ति की रक्षा हेतु बिना तलवार के अनुबन्ध(समझौता) केवल शक्तिहीन कोरे शब्द है।” समझौते से स्थापित सम्प्रभु सर्वोच्च सत्ता सम्पन्न और निरंकुश है। उसका प्रत्येक आदेश कानून और उसका प्रत्येक कार्य न्यायपूर्ण है। उसे जनता के जीवन को …

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हॉब्स की अध्ययन पद्धति: वैज्ञानिक भौतिकवाद

हॉब्स पर अपने समय में होने वाली वैज्ञानिक खोजों का बड़ा प्रभाव था। इस प्रभाव के कारण उसने अपने युग की राजनीतिक समस्याओं के अध्ययन के लिए अपने से पूर्ववर्ती विचारकों की अध्ययन पद्धति से बिल्कुल भिन्न अध्ययन पद्धति का प्रयोग किया। उसने न तो मध्ययुग के प्रचलित धार्मिक ग्रन्थों पर आधारित प्रमाणवादी पद्धति और …

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जॉन लॉक का सामाजिक समझौता सिद्धान्त

                  CONTENT: मानव स्वभाव की धारणा, प्राकृतिक अवस्था, सामाजिक समझौते का कारण, सामाजिक समझौता और राज्य की उत्पत्ति, लॉक के सामाजिक समझौते की विशेषताएं, लॉक के सामाजिक समझौते की आलोचना,   सामाजिक समझौता सिद्धान्त को वैज्ञानिक ढंग से प्रतिपादित करने वाले दार्शनिकों में हॉब्स और रूसो के …

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