Author name: Ajay kumar

नियंत्रण और संतुलन का सिद्धान्त

नियंत्रण और संतुलन का सिद्धान्त शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का एक उप सिद्धान्त है। यह इस मान्यता पर आधारित है कि पूर्ण शक्ति पृथक्करण शासन संचालन के कार्य को असम्भव बना देता है। अतः शासन में संतुलन बनाये रखने के लिए ऐसे सिद्धान्त की आवश्यकता है जो शासन के अंगों की स्वेच्छाचारिता और शक्ति के दुरुपयोग […]

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शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत

                  CONTENT: परिचय सिद्धांत की पृष्ठभूमि माॅण्टेस्क्यू सिद्धांत का प्रभाव सिद्धांत के पक्ष में तर्क सिद्धांत की आलोचना परिचय – शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि निरंकुश शक्तियों के मिल जाने से व्यक्ति भ्रस्ट हो जाते हैं और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने

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भीमराव अंबेडकर की जीवनी

     Biography of Bhimrao Ambedkar (भीमराव अंबेडकर की जीवनी)   भीमराव को अस्पृश्य मानी जाने वाली जाति में पैदा होने के कारण उन्हें जीवन भर अनेक कष्टों को झेलना पड़ा। उनका जन्म इंदौर के निकट महू छावनी में पिता भीम सकपाल के यहां 14 अप्रैल सन् 1891 को हुआ। पिता कबीर पंथ के अनुयाई

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राष्ट्र संघ की असफलता के कारण

संघ की असफलता के कारण           CONTENT: उग्र राष्ट्रीयता सार्वभौमिकता का अभाव अमेरिका का सदस्य न बनना राष्ट्र संघ द्वारा युद्ध रोकने की ढीली व्यवस्था घृणा पर आधारित राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व इतिहास का एक नया मोड़ थी। युद्ध को समाप्त कर शांति स्थापना के लिए इसका निर्माण मानवता के

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राष्ट्र संघ के कार्य

राष्ट्र संघ के कार्य राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य शांति के लिए प्रयास करना था। राष्ट्र संघ का जन्म वास्तव में अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की ही मांग पर हुआ था। संधि एवं समझौतों पर आधारित निर्णयों को क्रियान्वित करके विभिन्न देशों के बीच सौहार्द एवं समन्वय लाना राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य था। विशेषतया वर्साय संधि

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राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग

राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग तीन  थे जो निम्नलिखित थे – (1) सामान्य सभा , (2) परिषद , (3) सचिवालय। इसके अतिरिक्त दो स्वायत्त अंग थे – (1) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का स्थाई न्यायालय, (2) अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ। इसके अलावा कुछ सहायक अंग भी थे जैसे आर्थिक और वित्तीय संगठन, संवाद

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राष्ट्र संघ ( League of Nation)

परिचय  मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो विश्व के किसी भी राष्ट्र में रहता हो, परंतु वह शांति से जीवन यापन करना चाहता है। संसार में समय-समय पर युद्ध होते रहते हैं, और फिर संधि व समझौते भी होते हैं। यह प्रक्रिया निरंतर चलती ही रहती है। परंतु मानव ह्रदय अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में स्थाई शांति

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हाॅब्स का व्यक्तिवाद

  हाॅब्स का व्यक्तिवाद  (Hobbes’s individualism)   हरमन का कथन है कि “यद्यपि हाॅब्स उन प्रतिबंधों को स्वीकार करता है, जिन्हें संप्रभु, व्यक्ति पर आरोपित कर सकता है तथापि उसके सिद्धांत में व्यक्तिवाद के शक्तिशाली तत्व मौजूद हैं। सेबाइन के अनुसार “लाॅक का पूर्वगामी होने के चलते हाॅब्स को पहला दार्शनिक माना जाता है, जिसके

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राज्य की उत्पत्ति

  राज्य की उत्पत्ति (Origin of state) कौटिल्य   कौटिल्य के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में मनुष्य प्राकृतिक अवस्था में रहता था। हाॅब्स के समान कौटिल्य उस प्राकृतिक अवस्था को राज्यविहीन, कानून विहीन तथा अनैतिकतापूर्ण मानता है। पूर्व काल में एक समय ऐसा भी था, जब मत्स्य न्याय का प्रचलन था। जिस प्रकार बड़ी मछली

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थाॅमस हाॅब्स की जीवन परिचय

थाॅमस हाॅब्स का जन्म 1588 ई. में इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित मेम्सबरी( maimsbury) नामक नगर में हुआ था। उसके जन्म के पूर्व स्पेन की जनसेना (Armada) ने इंग्लैंड पर आक्रमण किया था। सभी लोग भयाक्रांत थे। कहा जाता है कि भय के वातावरण में जन्मा हाॅब्स जिंदगी भर ऐसे ही ग्रस्त रहा। स्वयं

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