Author name: Ajay kumar

रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत

हालांकि रूसो का सामाजिक समझौता सिद्धांत हॉब्स और लॉक के समझौता सिद्धान्त के समान है लेकिन उसका उद्देश्य उनकी तरह व्यक्तिवाद और प्राकृतिक अधिकारों का समर्थन करना मात्र नहीं था। इनके विपरीत, रूसो समाज के नैतिक पतन के प्रति अत्यधिक चिन्तित था और चाहता था कि इस अभिशाप से मुक्त होकर मनुष्य का जीवन पुनः …

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लोक प्रशासन का विकास

लोक प्रशासन का विकास लोक प्रशासन एक अभिनव सामाजिक विज्ञान है, जिसने अभी अपने 100 वर्ष भी पूरे नहीं किए हैं। एक युवा और विकासशील सामाजिक विज्ञान होने के बावजूद इसका जीवन उतार-चढ़ाव और उथल-पुथल से परिपूर्ण रहा है। लोक प्रशासन का विकास व इतिहास निम्नलिखित पांच चरणों में विभाजित है – 1) प्रथम चरण …

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लाॅक के शासन संबंधी विचार

लॉक के राजदर्शन में राज्य एवं सरकार के मध्य स्पष्ट अन्तर किया गया है। उसने राज्य और सरकार को एक नहीं माना है। उसके अनुसार सामाजिक समझौते से राज्य का निर्माण होता है न कि सरकार का। सरकार की स्थापना लॉक के अनुसार सामाजिक समझौते के माध्यम से नागरिक समुदाय अथवा समाज की स्थापना हो …

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हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत

हॉब्स का संप्रभुता का सिद्धांत उसके सामाजिक समझौते के सिद्धान्त से प्रभावित है। हॉब्स के शब्दों में, “व्यक्ति की रक्षा हेतु बिना तलवार के अनुबन्ध(समझौता) केवल शक्तिहीन कोरे शब्द है।” समझौते से स्थापित सम्प्रभु सर्वोच्च सत्ता सम्पन्न और निरंकुश है। उसका प्रत्येक आदेश कानून और उसका प्रत्येक कार्य न्यायपूर्ण है। उसे जनता के जीवन को …

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हॉब्स की अध्ययन पद्धति: वैज्ञानिक भौतिकवाद

हॉब्स पर अपने समय में होने वाली वैज्ञानिक खोजों का बड़ा प्रभाव था। इस प्रभाव के कारण उसने अपने युग की राजनीतिक समस्याओं के अध्ययन के लिए अपने से पूर्ववर्ती विचारकों की अध्ययन पद्धति से बिल्कुल भिन्न अध्ययन पद्धति का प्रयोग किया। उसने न तो मध्ययुग के प्रचलित धार्मिक ग्रन्थों पर आधारित प्रमाणवादी पद्धति और …

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संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) की विभीषिका तथा उसकी विनाश-लीला से त्रस्त होकर विश्व के प्रमुख राष्ट्रों ने भावी महायुद्ध की सम्भावना को कम करने के लिये, पारस्परिक सुरक्षा, शान्ति एवं कल्याण को दृष्टि में रखते हुए एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता का अनुभव किया और उसे क्रियात्मक रूप देने के …

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अधिकार का अर्थ एवं परिभाषा, प्रकार

अधिकार हमारे सामाजिक जीवन की अनिवार्य आवश्यकताएँ हैं, जिनके बिना न तो व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है और न ही समाज के लिए उपयोगी कार्य कर सकता है। वस्तुतः अधिकारों के बिना मानव जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। इस कारण वर्तमान समय में प्रत्येक राज्य के द्वारा …

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नागरिकता की अवधारणा

नागरिकता मनुष्य की उस स्थिति का नाम है जिसमें मनुष्यों को नागरिक का स्तर प्राप्त होता है। साधारण बोलचाल के अन्तर्गत एक राज्य में रहने वाले सभी व्यक्तियों को नागरिक कहा जाता है, किन्तु ऐसा कहना उचित नहीं है। एक राज्य में कुछ ऐसे विदेशी लोग भी होते हैं जो व्यापार या भ्रमण, आदि के …

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बहुलवाद

संप्रभुता की एकलवादी धारणा के विरुद्ध जिस विचारधारा का उदय हुआ, उसे हम राजनीतिक बहुलवाद या बहुसमुदायवाद कहते हैं। इस प्रकार बहुलवाद को संप्रभुता की अद्वैतवादी धारणा के विरुद्ध एक ऐसी प्रतिक्रिया कहा जा सकता है जो यद्यपि राज्य के अस्तित्व को बनाये रखना चाहती है, किन्तु राज्य की संप्रभुता का अन्त करना आवश्यक मानती …

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ऑस्टिन का संप्रभुता सिद्धांत

ऑस्टिन का संप्रभुता सिद्धांत संप्रभुता के वैधानिक सिद्धान्त का सर्वोत्तम विश्लेषण जॉन ऑस्टिन ने 1832 में प्रकाशित अपनी पुस्तक विधानशास्त्र पर व्याख्यान’ (Lecturers on Jurisprudence) में किया है। आस्टिन, हॉब्स और बेंथम के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित था और उसका विचार था कि “उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश ही कानून होता है। …

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